पंजाब में 500 वर्ग गज के प्लॉट की रजिस्ट्री पर उठा बड़ा कदम
चंडीगढ़, 25 अक्टूबर। पंजाब में अब 500 वर्ग गज तक के प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए किसी एन.ओ.सी. की आवश्यकता नहीं होगी और इस संबंध में कानूनी मशीर और संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेने के बाद अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इसके बाद राज्यवासियों को इस सुविधा का लाभ लेने के लिए कम से कम दो महीने का समय दिया जाएगा।
यह जानकारी राजस्व एवं पुनर्वास, भवन निर्माण और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह मुंडिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान द्वारा पंजाबियों को दीवाली का तोहफा देते हुए भूमि की रजिस्ट्री के लिए एन.ओ.सी. की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है, जिससे राज्यवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है।
उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों की इस मामले में दिखी ढिलाई के कारण लोग एक दशक से अधिक समय से परेशान हो रहे थे। इस अवसर पर भवन निर्माण और शहरी विकास सचिव राहुल तिवारी और पुडा के सी.ए. और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डायरेक्टर नीरू कटियाल गुप्ता भी मौजूद थे।
मुंडिया ने कहा कि मौजूदा सरकार द्वारा इस दिशा में बड़ा निर्णय लेते हुए एन.ओ.सी. की शर्त खत्म करने के लिए 3 सितंबर को पंजाब विधानसभा में पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन (पापरा) संशोधन अधिनियम, 2024 पारित किया गया था, जिसे अब राज्यपाल जी की मंजूरी मिल गई है। अब इस संबंध में कानूनी मशीर और संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेने के बाद अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस सुविधा का लाभ लेने के लिए राज्यवासियों को कम से कम दो महीने का समय दिया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि इस फैसले से जहां अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसा जाएगा, वहीं छोटे प्लॉट मालिकों को राहत मिलेगी, जिन्हें अपने प्लॉटों की रजिस्ट्री करवाने में समस्या का सामना करना पड़ रहा था। 500 वर्ग गज तक के क्षेत्र के लिए, एक पावर ऑफ अटॉर्नी, स्टाम्प पेपर पर बेचने के लिए एग्रीमेंट या कोई अन्य ऐसा दस्तावेज़, जिसे सरकार अधिसूचना के माध्यम से निर्धारित कर सकती है, द्वारा एग्रीमेंट किया है, उस क्षेत्र के लिए एन.ओ.सी. की आवश्यकता नहीं होगी।
एक सवाल के जवाब में स.मुंडिया ने कहा कि अब रजिस्टर्ड कोई भी व्यक्ति या प्रमोटर, उसका एजेंट और कोई अन्य प्रमोटर, जो बिना किसी उचित कारण के अधिनियम की धारा-5 के उपबंधों का पालन करने में असफल रहता है या उल्लंघन करता है, तो दोषी पाए जाने पर उसे कम से कम 25 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, जो 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही उसे कम से कम 5 साल की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
मुंडिया ने कहा कि अवैध कॉलोनाइजरों ने लोगों को झूठे सपने दिखाकर लूट की और बिना मंजूरी के कॉलोनियां बेच दीं, जबकि ये कॉलोनियां स्ट्रीट लाइट, सीवरेज और अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित थीं। लाचार लोग इन कॉलोनियों में आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए परेशान हो रहे हैं। पिछली सरकारों के खराब शासन के दौरान अवैध कॉलोनियों में वृद्धि हुई थी, क्योंकि पहले के शासकों ने अवैध कॉलोनाइजरों का समर्थन किया।