गीता का उच्चारण करें और कंठस्थ करके जीवन में अपनाएं-मुख्यमंत्री

गीता का उच्चारण करें और कंठस्थ करके जीवन में अपनाएं-मुख्यमंत्री
चंडीगढ़, 23 दिसंबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गीता का महत्व बताते हुए छात्रों से कहा है कि वे अपनी जेब में गीता की प्रति रखें और बचपन से ही गीता के श्लोकों का उच्चारण करें और उनको अपने जीवन में अपनाएं।
यह बात मुख्यमंत्री ने कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर एक मिनट-एक साथ गीता के वैश्विक पाठ कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि गीता का सार है कि हमे कर्म करते रहना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसी को आत्मसात करते हुए वे स्वयं हरियाणा की 2.80 करोड़ जनता को अपना परिवार मानते हुए सेवा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत गीता और हमारे ग्रंथ स्कूल पाठ्यक्रम में जोड़ने का कार्य जारी है। इस साल गीता के 54 श्लोक पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। भविष्य में और भी श्लोकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, ताकि छात्र जीवन में गीता के सभी 700 श्लोकों की जानकारी मिल सके।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा का अभिनंदन करते हुए कहा कि मां कामाख्या देवी जी की पावन धरा असम राज्य इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का भागीदार राज्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में हरियाणा-असम के संबंध और प्रगाढ़ होंगे।
असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि कुरुक्षेत्र में महाभारत के समय में पूरे भारत का संगम हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण का असम से गहरा संबंध था। श्रीकृष्ण की पत्नी रुकमणी असम से थी। इसलिए असम में श्रीकृष्ण को दामाद मानते हैं। महाबली भीम ने भी असम में शादी की थी। अर्जुन ने उनके राज्य पड़ोसी मणिपुर में शादी की थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेज सोचते थे कि भारत को अंग्रेजों ने बनाया है, लेकिन यह सत्य नहीं है। भारत का इतिहास बहुत पुराना है। यहां की संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है। उन्होंने गीता महोत्सव में निमंत्रण के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया।
इस मौके पर 18 हजार छात्रों ने गीता के 18 श्लोकों का उच्चारण किया, जिससे आसमान गूंज उठा।