पंजाब ने खनन से 472.50 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड कमाई की
चंडीगढ़, 15 जनवरी। पंजाब के खनन एवं भूविज्ञान मंत्री चेतन सिंह जौड़ा माजरा ने आज बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लोगों को सस्ती दरों पर रेत और बजरी देने के बावजूद पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान कुल 472.50 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित किया गया है।
मंत्री ने बताया कि विभाग ने विभिन्न स्रोतों से बीते वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कुल 247 करोड़ रुपए जुटाए और मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 2 जनवरी, 2024 तक 225.50 करोड़ रुपए की आमदनी प्राप्त की है।
उन्होंने बताया कि विभाग को सार्वजनिक खनन खड्डों (पी.एम.एस) से 13.5 करोड़ रुपए, वाणिज्यिक खनन खड्डों (सी.एम.एस.) से 8.8 करोड़ रुपए, अंतरराज्यीय खनन गतिविधियों से 146.1 करोड़ रुपए, ईंट भट्ठा मालिकों के लाइसेंस से 22.5 करोड़ रुपए, कम समय-सीमा के परमिट से 96.03 करोड़ रुपए, नियम 75 के अंतर्गत जुर्माने से 7.92 करोड़ रुपए, अन्य स्रोतों जैसे क्रशर, रजिस्ट्रेशनों, क्रशर ई.एम.एफ, डिमांड नोटिस और वाहन परमिट आदि से 94.21 करोड़ रुपए, डी-सिल्टिंग साइटों से 30.86 करोड़ रुपए और बाकी ब्लॉकों से 60 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के कारण मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान डी-सिल्टिंग साइटों से होने वाली आमदनी को बाहर रखा गया है, जिस कारण खनन विभाग द्वारा डी-सिल्टिंग साइटें सरेंडर करने के कारण लगभग 450 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
जोड़ माजरा ने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 307 करोड़ रुपए और अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 300 करोड़ रुपए की आमदनी होने का अनुमान है।
मीडिया के एक हिस्से से आई रिपोर्ट को बेबुनियाद, गुमराह करने वाली और मनगढ़ंत बताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में दिखाए गए राजस्व के आंकड़े केवल सार्वजनिक खनन खड्डों और वाणिज्यिक खनन खड्डों से होने वाले राजस्व को दिखाते हैं और इसमें अन्य प्रमुख स्रोतों से होने वाले राजस्व को शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा रेत माफिया पर नकेल कसी गई है और पिछली सरकारों के मुकाबले ग़ैर-कानूनी खनन के विरुद्ध रिकॉर्ड मुकदमे दर्ज किए गए हैं और ग़ैर-कानूनी खनन में शामिल लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार लोगों को किफायती दरों पर रेत-बजरी मुहैया करवा रही है और इसके बावजूद सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है।