December 23, 2024

बरसों से बंद पड़ा रेशम बीज उत्पान केंद्र शुरू

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बरसों से बंद पड़ा रेशम बीज उत्पान केंद्र शुरू

बरसों से बंद पड़ा रेशम बीज उत्पान केंद्र शुरू

डलहौजी, 21 जून। पंजाब सरकार ने हिमाचल प्रदेश के डलहौजी स्थित पिछले 15 सालों से बंद पड़े पंजाब के एकलौते सरकारी सैरीकल्चर रेशम बीज उत्पादन सेंटर को फिर से शुरू कर दिया है।

बागबानी मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज सेंटर का दौरा कर व्यवस्था का जायजा लिया और अधिकारियों को जरूरी हिदायत दीं।

मंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य की इस अमानत की उपेक्षा की परंतु मौजूदा भगवंत सिंह मान सरकार ने इस केंद्र को फिर से शुरू किया है। उन्होंने बताया कि इस सेंटर के लिए पहली किश्त के तौर पर 14 लाख रुपए मंजूर किया गए हैं जिससे सितंबर से सिल्क सीड ग्रेनेज तैयार करके किसानों को रेशम का बीज सस्ते भाव पर दिया जाएगा।

मंत्री ने बताया कि डलहौजी का वातावरण रेशम बीज उत्पादन के लिए बहुत अनुकूल है और केंद्र के शुरू होने के साथ पंजाब के कंडी क्षेत्र के लगभग 1500 किसानों को सीधे तौर पर लाभ होगा। उन्होंने बताया कि इस सेंटर से कंडी जिलों गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर और रोपड़ आदि के किसानों को लाभ मिलेगा।

मंत्री ने बताया कि इससे पहले विभाग द्वारा रेशम कीट पालकों को केंद्रीय रेशम बोर्ड के सेंटरों से रेशम बीज मुहैया करवाया जा रहा था परंतु अब डलहौजी स्थित इस रेशम बीज सेंटर के चालू होने से राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर रेशम बीज तैयार किया जा सकेगा और ट्रांसपोर्टेशन के कम खर्चे पर रेशम कीट पालकों को रेशम बीज मुहैया करवाया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि राज्य में अपनी स्तर पर रेशम बीज सेंटर चालू होने के साथ रेशम बीज का अधिक उत्पादन होगा और इससे राज्य में रेशम की पैदावार भी बढ़ेगी और अधिक से अधिक किसानों मुख्य तौर पर औरतों को इस काम के साथ जोड़ा जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि सैरीकलचर विंग बाग़बानी विभाग का एक अहम हिस्सा है, जो राज्य में रेशम उत्पादन के साथ-साथ कंडी क्षेत्र के ग़रीब रेशम कीट पालकों को रोज़गार मुहैया करवाने में बहुत सहायक हो रहा है। कैबिनेट मंत्री ने बताया कि उन्होंने डायरैक्टर बाग़बानी को भी निर्देश दिए हैं कि वह विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत रेशम कीट पालकों को हर पक्ष से जरूरी तकनीकी और वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध करवाएं ताकि राज्य में अधिक से अधिक रेशम उत्पादन किया जा सके और ग़रीब किसानों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाया जा सके।

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