December 23, 2024

SARRA को लेकर विभागों में तालमेल बढ़ाने पर सरकार का जोर

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SARRA को लेकर विभागों में तालमेल बढ़ाने पर सरकार का जोर

SARRA को लेकर विभागों में तालमेल बढ़ाने पर सरकार का जोर

देहरादून 24 जून। उत्तराखंड सरकार के अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA) उत्तराखंड की राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति (SLEC) की प्रथम बैठक आयोजित हुई।

बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि SARRA के गठन के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए सभी सम्बन्धित विभाग आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रस्तावों को समिति से स्वीकृत कराने से पूर्व सभी संबंधित विभागों को इसके प्रस्ताव भेज कर विभागों से टिप्पणियां ले ली जाएं।अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सूख रहे जल स्रोतों, नदियों एवं जल धाराओं का शीघ्रातिशीघ्र चिन्हीकरण कराते हुए उपचारात्मक कार्य शीघ्र शुरू किए जाएं। उन्होंने कहा कि परियोजना के मूल्यांकन के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए, साथ ही, मूल्यांकन एवं निगरानी के लिए समर्पित स्टाफ की तैनाती की जाए।

उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य एवं जिला स्तर पर प्राधिकरण के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों का श्रेणीकरण करते हुए प्रत्येक वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि इस वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक कार्ययोजना अगले एक माह में तैयार कर प्रस्तुत की जाए।

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि योजना को सफल बनाए जाने हेतु जन जागरूकता की अत्यधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आमजन में वर्षा जल को संरक्षित कर नदियों एवं जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए आमजन में जन-जागरूकता सहित सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने परियोजनाओं के लिए जनपदों को समय पर बजट आवंटित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने योजनाओं के समय क्रियान्वयन के लिए कैलेण्डर तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए।

बैठक के दौरान समिति द्वारा प्रथम चरण में दीर्घावधिक उपचार के लिए प्रदेश की 5 नदियों सौंग (देहरादून-टिहरी), पूर्वी एवं पश्चिमी नयार (पौड़ी), शिप्रा (नैनीताल) एवं गौड़ी (चम्पावत) को चयनित किया गया।

अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (SARRA) श्रीमती नीना ग्रेवाल ने बताया कि प्रदेश में अप्रैल 2024 से अगस्त 2024 तक जल संरक्षण अभियान आयोजित किया जा रहा है, साथ ही 10 जून से 16 जून 2024 तक जल उत्सव सप्ताह का भी आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में उपचार हेतु अभी तक कुल 5428 जल स्रोत चिन्हित किए गए हैं।
इस अवसर पर राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति के सदस्यों सहित संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद थे।

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